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बाल सुरक्षा अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) एवं बच्चों के अधिकारों के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का हुआ आयोजन

बांदा जनपद में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण-नई दिल्ली, उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा जनपद न्यायाधीश डा० बब्बू सांरग के निर्देशानुसार मंगलवार 07 मई 2024 को 11:00 बजे से तहसील सदर बांदा के सभागार में यौन अपराधों से बाल सुरक्षा अधिनियम-2012 (पॉक्सो एक्ट), एवं बच्चों के अधिकारों के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन श्रीपाल सिंह अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण-बांदा की अध्यक्षता में किया गया। श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज / सचिव- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि बच्चों के यौन उत्पीड़न से सम्बन्धित जटिल और संवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2012 में पॉक्सो अधिनियम लागू किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षित रखना और ऐसे मामलों में दोषियों के विरुद्ध कठोर सजा दिलाना है। इस कानून के अन्तर्गत चौबीस घण्टे के अन्दर बच्चे को संरक्षण व आवश्यकता के अनुसार चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, किसी व्यक्ति या पुलिस द्वारा ऐसे मामलों में रिपोर्ट न करने पर 06 माह का कारावास या जुर्माना दोनो हो सकता हैं। विधिक सहायता उपलब्ध न होने की स्थिति में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क अधिवक्ता भी उपलब्ध कराये जाते हैं। बच्चों के हो रहे यौन शोषण के सम्बंध में कहा गया कि माता पिता को अपने बच्चों की उचित देख-रेख करना चाहिये, उनसे बातचीत का दायरा बढ़ाना चाहिए जिससे कि उनके मन की बात को जान सके। किसी भी आने वाले बाहरी अथवा घर के आगन्तुको का बच्चों के साथ व्यवहार पर भी निगरानी करनी चाहिए, उनके बैठने उठने के तरीको पर भी निगाह रखनी चाहिए। विवेक कुमार नायब तहसीलदार, तहसील सदर बांदा द्वारा बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे चाहे वह लड़का हो या लड़की, के साथ यौन अपराध हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो तो ऐसे मामलें प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फॉम सेक्सुअल ऑफेन्स एक्ट (पॉक्सो एक्ट) के अन्तर्गत आते हैं। यह कानून बच्चों को लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील वीडियों, चित्र व साहित्य के इस्तेमाल जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता हैं। ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना भी की गयी हैं। ऐसे अपराधों में 10 से 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा व जुर्माना दोनो हो सकता हैं। इसके साथ ही अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने
बच्चों को गुड टच बैड टच के सम्बंध में जागरुक करना चाहिए। शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा की ओर से राशिद अहमद – डी०ई०ओ० के साथ तहसील बांदा से बुशरा खानम, कुसुम यादव राजस्व लिपिक एवं शोभित निगम उपस्थित रहें।

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