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पुलिस अधीक्षक गोण्डा के निर्देशन में पुलिस लाइन सभागार कक्ष में 03 नए कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) की कार्यशाला का आयोजन कर जनपद के राजपत्रित अधिकारियो को दिया गया प्रशिक्षण

अहमद रजा खान जोनल ब्यूरो चीफ देवीपाटन मंडल इंडिया शान टाइम्स न्यूज

गोण्डा। आज दिनांक 30.06.2024 को पुलिस अधीक्षक गोण्डा विनीत जायसवाल के नेतृत्व में वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी रामबली यादव द्वारा पुलिस लाइन सभागार कक्ष में उपस्थित राजपत्रित अधिकारियों को 03 नए कानूनों के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि अब 01 जुलाई 2024 से इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोजीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होगा। अपराध की सूचना प्राप्त होते ही घटनास्थल पर विचार किए बिना जीरो एफआईआर दर्ज करनी होगी। महिला शिकायतकर्ता पुलिस स्टेशन नहीं जाना चाहतीं तो उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर की सुविधा शुरू की जाएगी । आईपीसी में धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया था तथा धारा 376 में दुष्कर्म के लिए सजा का प्रावधान था । बीएनएस में इसे धारा 63 और 64 में परिभाषित किया गया है । धारा 64 में इन अपराधों के लिए सजा बतायी गयी है । दुष्कर्म के मामलों में दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है । इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है । 18 साल से कम उम्र की नाबालिग से गैंगरेप के मामले में अभी तक दोषी को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान था. प्रस्तावित बीएनएस की धारा 70(2) के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मृत्यु दण्ड की सजा तक हो सकती है । बीएनएस में धोखाधड़ी या झूठ बोलकर किसी महिला से संबंध बनाना या फिर शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने पर सजा का प्रावधान किया गया है। बीएनएस के अंतर्गत अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे । इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी । अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं 15 दिन के भीतर जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी । छोटे-छोटे मामलों और तीन साल से कम सजा के अपराधों के मामलों में समरी ट्रायल किया जाएगा । विवचेक को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होगी । परिस्थिति के आधार पर न्यायालय अतिरिक्त समय दे सकती है । 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी कर ट्रायल शुरू करना होगा । न्यायालय को 60 दिन के भीतर आरोपी पर आरोप तय करने होंगे । सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा । फैसला सुनाने और सजा का ऐलान करने में 7 दिन का ही समय मिलेगा । अगर किसी दोषी को मौत की सजा मिली है और उसकी अपील सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो गई है, तो 30 दिन के भीतर दया याचिका दायर करनी होगी । बीएनएस में मॉब लिंचिंग के दोषी को फांसी की सजा तक देने की व्यवस्था की गयी है । अभी तक मॉब लिंचिंग के लिए सजा का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था । भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग को लेकर धारा 101 (2) में सजा का प्रावधान है । बीएनएस में हत्या के लिए धारा 101 में सजा का प्रावधान है । इसमें दो सब-सेक्शन हैं , धारा 101(1) कहती है कि अगर कोई व्यक्ति हत्या का दोषी पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक हो सकती है । साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा । इसके अलावा, बीएनएस में हत्या की कोशिश के मामले में धारा 107 के तहत एक्शन होगा । बीएनएस में भगोड़े अपराधियों के विरूद्ध कड़े प्रावधान बनाए गए हैं । उनकी अनुपस्थिति में कोर्ट में ट्रायल भी हो सकेगा । अब तक किसी भी अपराधी या आरोपी पर ट्रायल तभी शुरू होता था, जब वो अदालत में मौजूद हो । लेकिन अब फरार घोषित अपराधी के बगैर भी मुकदमा चल सकेगा । यानी कोर्ट में कार्यवाही नहीं रुकेगी , फरार आरोपी पर आरोप तय होने के तीन महीने बाद ट्रायल शुरू हो जाएगा. पहले 19 अपराधों में ही भगोड़ा घोषित कर सकते थे, अब 120 अपराधों में भगोड़ा घोषित करने का प्रावधान किया गया है । *नए कानून में आत्महत्या के प्रयास को भी नए सिरे से परिभाषित किया गया है । नए प्रावधान के तहत कोई व्यक्ति किसी भी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन करने के लिए मजबूर करने या रोकने के इरादे से आत्महत्या करने की कोशिश करता है तो यह अपराध माना जाएगा और जेल की सजा निर्धारित की जाएगी । इसे सामुदायिक सेवा के साथ एक साल तक बढ़ाया जा सकता है ।बीएनएस में गवाहों की सुरक्षा का भी ख्याल रखा जाएगा । बयान दर्ज करने और साक्ष्य एकत्र करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड की अनुमति दी गई है। सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य की गयी है। NCRB मोबाइल एप में नए आपराधिक कानूनों का संकलन किया गया है ।
नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) से आमजनमानस को जमीनी स्तर पर जानकारी देने हेतु 01 जुलाई 2024 को समस्त थानों में थाना क्षेत्र के गणमान्य/सम्भ्रान्त व्यक्ति के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें नये कानूनों के बारे में उपस्थित गणमान्य/सम्भ्रान्त व्यक्तियों को विस्तार से अवगत कराया जायेगा तथा प्रबुद्ध/सम्भ्रांत व्यक्तियों को नये कानूनों के सम्बन्ध में तैयार किये गये पम्पलेटों का वितरण किया जा रहा है। थाना क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर प्रशिक्षण एवं अभियोजन निदेशालय द्वारा भेजे गए बैनर/पोस्टर लगाये जायेंगे तथा स्थानीय स्तर पर ध्वनि विस्तारक यंत्रो से तथा सोशल मीडिया के माध्यम से भी नये कानूनों के प्राविधानों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

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