कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्राकृतिक खेती के महत्व को किया उजागर, श्रीअन्न की खेती पर दिया जोर
उप निदेशक कृषि विजय कुमार ने बताया कि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा दिनांक 20 जुलाई 2024 को बाँदा कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय बाँदा में आयोजित अन्न पर आधारित कार्यशाला में प्रतिभाग किया गया। बॉदा, हमीरपुर एवं महोबा जनपद के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ संचालित योजनाओं की समीक्षा की गयी। तत्पश्चात् पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्राकृतिक खेती क्लस्टर के कृषकों के साथ संवाद एवं प्राकृतिक खेती के कार्यों का अवलोकन के क्रम मे योजनान्तर्गत प्रथम चरण वर्ष 2022-23 में गठित प्राकृतिक खेती क्लस्टर पहुई का भ्रमण किया गया, जहाँ से पडुई क्लस्टर के चैम्पियन फार्मर नवल किशोर द्विवेदी के प्राकृतिक खेती प्रक्षेत्र पहुँचें। उपस्थित कृषकों द्वारा कृषि मंत्री एवं उनके साथ पधारें अतिथियों का बुके भेंट कर एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। सर्वप्रथम कृषि मंत्री द्वारा पौधरोपण कर शुभारम्भ किया गया तत्पश्चात् प्राकृतिक खेती के क्रियाकलापों का अवलोकन किया गया। अपने सम्बोधन में कृषि मंत्री ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रभाव डालते हुए बताया कि हमारे देश में विशेषकर बुन्देलखण्ड में सनातन पद्धति से खेती की जाती रही है। 65-70 वर्ष के व्यक्ति जो यहाँ उपस्थित है, उन्हे पता होगा कि पहले खेती में उवर्रक एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नही होता था। लोग स्वास्थय रहते थे, किसी को हार्ट अटैक, डायबिटीज एवं कैंसर जैसी बीमारियों नही होती थी। गाँव के लोग इन बीमारियों का नाम भी नही जानते थे, किन्तु जब से उवर्रक का प्रयोग शुरू हुआ है, धीरे-धीरे फसलोंत्पादन मंहगा होता गया है एवं उत्पाद की पोषक वैल्यू खत्म होती गयी है, जो अन्न हमलोग ग्रहण करते है, उनमें पोषक तत्वों का अभाव है। प्राकृतिक खेती अपनाने से खेती की लागत सस्ती होगी एवं पोषक तत्वों से भरपूर उत्पाद मिलेगा, जिससे कृषकों में खुशहाली आएगी। श्रीअन्न उत्पादन एवं श्रीअन्न में पोषक तत्वों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृषि मंत्री द्वारा कहा गया कि धान और गेहूँ में लागत ज्यादा आती है, जबकि श्रीअन्न एवं दलहन उत्पादन करने में फसल चक्र उपयोगी होगा, इससे जहाँ एक ओर खेती की लागत कम होगी, वही दूसरी ओर हमे पौष्टिक अनाज एवं दाले प्राप्त होगी। उनके द्वारा बताया गया कि श्रीअन्न उत्पादक कृषकों को बाजरा फसल के बीजोत्पादन हेतु रू0 3300/- प्रति कु० प्रोत्साहन धनराशि सरकार द्वारा निर्धारित की गयी है। श्रीअन्न उत्पादक कृषक शिवाकांत मिश्र से कृषि मंत्री द्वारा श्रीअन्न उत्पादन के विषय में चर्चा की गयी। वर्षा जल के संचयन के सम्बन्ध में कृषि मंत्री द्वारा कृषकों को प्रेरित किया गया कि हर खेत पर मेड और हर मेड पर फलदार वृक्ष लगायें, इससे वर्षा का पानी खेत में ही संरक्षित रहेगा एवं अपने खेतों पर खेत-तालाब योजनान्तर्गत तालाब बनवाकर भी पानी संरक्षित कर सकते है। इसी अवसर पर पडुई निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं जल संचयन के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले पुष्पेन्द्र जी की भी प्रशंसा कृषि मंत्री द्वारा की गयी है। प्राकृतिक खेती के बुन्देलखण्ड के अग्रणी कृषक श्याम बिहारी गुप्ता ने अपने उद्बोधन में सभी कृषकों को एक देशी गाय पालने, खेत पर मेड बनाने, मेंड पर पेड लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होनें कार्यक्रम में उपस्थित जिलाधिकारी बाँदा एवं मुख्य विकास अधिकारी, बाँदा से अनुरोध किया कि निराश्रित गौ शालाओं में पक्के शेड बनवाकर गौ-मूत्र एव गोबर को एकत्र कराने हेतु आग्रह किया गया है, जो कि प्राकृतिक खेती के लिए आधारभूत है। कृषि मंत्री के साथ में जिलाधिकारी, बाँदा, मुख्य विकास अधिकारी, निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र), उ०प्र० कृषि भवन, लखनऊ वि०व०वि० (शस्य एवं वानिकी) आदि उपस्थित रहें।