आजकल कुछ बुद्धिजीवी लोग जौहर पर भी प्रश्न उठाकर कहते हैं कि उन स्त्रियों को लड़ना चाहिए था। लेकिन वास्तविकता ये थी कि लड़ने में पकड़े जाने का भय था, वरना जो स्वयं को आग में झोंक दे उसके लिए लड़ना कौनसी बड़ी बात थी। लड़ाई में यदि वीरगति भी पा लेती तो भी उनके लिए ये असहनीय होता, क्योंकि राजपूतानियों को ये मंजूर नहीं था कि कोई उनकी मृत देह को भी छू सके।