जब बिहार की बेटी ने बॉलीवुड में सबको छोड़ दिया था पीछे – मीनाक्षी: डांसिंग क्वीन से बॉलीवुड रानी, फिर अचानक विदा! 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड पर्दे पर छाए रहने वाली अभिनेत्रियों में मीनाक्षी शेषाद्रि का नाम एक बिजली की तरह कौंधता है. एक साधारण से सरकारी कर्मचारी की बेटी, जिसने अपने नृत्य कौशल और खूबसूरती से फिल्मी दुनिया में तहलका मचा दिया. लेकिन ये चमक उतनी ही जल्दी ढल भी गई, मानो कोई शूटिंग स्टार क्षणभर जगमगा कर खो गया हो. आइए देखें मीनाक्षी के सफर की ये अनसुनी कहानी.
1963 में बिहार के सिंदरी (अब झारखंड) में जन्मीं मीनाक्षी का बचपन किसी फिल्मी कहानी से कतई अलग नहीं था. सरकारी माहौल, दो बड़े भाई और एक छोटी बहन के बीच पली-बढ़ीं मीनाक्षी में कला के प्रति जुनून कूट-कूट कर भरा था. माता-पिता ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, कथक और ओडिसी जैसे शास्त्रीय नृत्यों में पारंगत बनाया. ये लय और ताल ही थे, जिन्होंने भविष्य में उनके अभिनय को भी एक अलग आयाम दिया.
17 साल की उम्र में मीनाक्षी के जीवन में एक अप्रत्याशित मोड़ आया. 1981 में उन्होंने ‘इव्स वीकली मिस इंडिया’ का खिताब जीतकर सबको चौंका दिया. यही जीत उन्हें जापान ले गई, जहां उन्होंने ‘मिस इंटरनेशनल 1981’ प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया. ब्यूटी पेजेंट की चकाचौंध ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री की ओर खींच लिया.
1983 में फिल्म निर्माता मनोज कुमार ने उन्हें ‘पेंटर बाबू’ में कास्ट किया. भले ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन मीनाक्षी की किस्मत का असली खेल तो अभी शुरू ही हुआ था. अगले ही साल सब्बास शिराली की फिल्म ‘हीरो’ में जैकी श्रॉफ के साथ उनकी जोड़ी धमाल मचा गई. फिल्म सुपरहिट साबित हुई और रातोंरात मीनाक्षी बॉलीवुड की रानी बन गईं.
‘हीरो’ की सफलता के बाद मीनाक्षी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 80 और 90 के दशक में एक से बढ़कर एक यादगार फिल्में दीं. ‘दामिनी’ (1993), ‘घातक’ (1996) जैसी फिल्मों में अपने रोमांस और अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
लेकिन पर्दे के पीछे, मीनाक्षी की जिंदगी एक अलग ही कहानी कह रही थी. चकाचौंध और नाम-शोहरत के बीच उनका मन कहीं और खोया रहता था. 1995 में उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकर हरीश mysore से शादी कर ली और अमेरिका शिफ्ट हो गईं. शादी के बाद उन्होंने फिल्मों को अलविदा कह दिया और टेक्सास में रहते हुए भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी सिखाने लगीं.