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जीओ मोबाइल कंपनी, प्रयागराज पुलिस, साइबर क्राइम सेल और बैंक ऑफ़ बड़ौदा के अधिकारियों के विरुद्ध उच्च स्तरीय शिकायत

— हाई कोर्ट के अधिवक्ता आर के पाण्डेय ने की सुरक्षा और व्यवस्था की मांग।

नैनी, प्रयागराज। पिछले कुछ वर्षों से बढ़ रहे साइबर अपराधों से न सिर्फ आम जनमानस बल्कि अब हाई कोर्ट इलाहाबाद जैसी उच्च संस्थानों के लोग भी लगातार पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे ही एक गंभीर प्रकरण में हाईकोर्ट इलाहाबाद के समाजसेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय ने जीओ मोबाइल कंपनी, प्रयागराज पुलिस, साइबर क्राईम सेल और बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी (ला एंड ऑर्डर), हाई कोर्ट इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश, मुख्य निबंधक सहित तमाम सक्षम अधिकारों के पास ज़रिए आइजीआरएस लिखित शिकायत करने के साथ यूपीकॉप पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई है। हाई कोर्ट इलाहाबाद के समाजसेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय ने कहा कि जब हाई कोर्ट जैसे उच्च संस्थानों में काम कर रहे लोगों के मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट सुरक्षित नहीं हैं तो आखिर आम जनमानस के साथ क्या होगा? उन्होंने कहा कि यह बहुत ही खतरनाक मामला है कि पुलिस, बैंक अधिकारी और जीओ मोबाइल कंपनी जैसे लोगों के पास जहां आम जनमानस के सभी डाटा उपलब्ध हैं वह आखिर साइबर अपराधियों तक कैसे पहुंचते हैं?
जानकारी के अनुसार विगत 7 मार्च 2024 को आर के पाण्डेय एडवोकेट के मोबाइल नंबर को साइबर अपराधियों ने हैक करके उनके बैंक अकाउंट से न सिर्फ अवैध तरीके से धन निकाले बल्कि उनके मोबाइल पर लगातार अवैध अवांछित फोन व मैसेज भी आ रहे हैं। हालत तो तब बदतर हो गए जब इन साइबर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने अधिवक्ता के मोबाईल नम्बर के सिम को सस्पेंड कर दिया जिसे जीओ कंपनी द्वारा एक बार रीस्टार्ट करने के बाद दोबारा फिर साइबर अपराधियों ने अधिवक्ता का सिम सस्पेंड करा दिया। ऊपर से यह गंभीर समस्या तब और बन गई जब लगातार जीओ कंपनी के लोकल यूनिट कॉटन मिल तिराहा व क्षेत्रीय कार्यालय बालसन चौराहा प्रयागराज के साथ साइबर क्राईम सेल, प्रयागराज पुलिस व बैंक आफ बड़ौदा नैनी के चक्कर लगाने के बाद सिम हैक व सस्पेंशन के विरुद्ध एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। हालांकि आईजीआरएस और यूपीकॉप ऐप पर अधिवक्ता ने अपनी शिकायत दर्ज कर दी है परंतु गंभीर सवाल यह है कि ऐसे गंभीर मामलों में आखिर जीओ कंपनी, प्रयागराज पुलिस, बैंक ऑफ बैंक ऑफ़ के पास जो डाटा लोगों के उपलब्ध हैं वह कैसे लीक होकर साइबर अपराधी तक पहुंचते हैं? निश्चित तौर से यह बहुत बड़ी गंभीर समस्या है जो कि पूरे देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को विशेष रूप से असुरक्षित करते हुए गंभीर संकट पैदा कर रही हैं।

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