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बिरजू महाराज कथक संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश व एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय परिसर में चल रहे सातदिवसीय ग्रीष्मकालीन कथक नृत्य निःशुल्क कार्यशाला के दूसरे दिन सभी प्रतिभागी जमकर झूमें । इस दौरान प्रतिभागियों ने भूमि प्रणाम आदि की जानकारी प्राप्त की।
मंगलवार को महाविद्यालय प्राचार्य प्रो जे पी पाण्डेय के निर्देशन व कार्यशाला संयोजक लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान के संयोजकत्व में आयोजित कार्यशाला में सभी प्रतिभागी जमकर झूमें। बिरजू महाराज कथक संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश से नामित कथक गुरु हर्षिता चौहान ने सभी प्रतिभागियों को भूमि प्रणाम की जानकारी दी। उन्होंने मुद्राओं के साथ साथ बताया कि कथक में प्रणाम, जिसे ‘ भूमि प्रणाम ‘ भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक अभिवादन है जो नृत्य की शुरुआत में किया जाता है। यह धरती के प्रति सम्मान व्यक्त करता है और नृत्य को शुरू करने से पहले भूमि से क्षमा याचना भी है। उन्होंने भूमि प्रणाम की आवश्यक जानकारी देते हुए कहा कि स्त्रीय नृत्य है जो कहानी कहने पर आधारित है। इसका अर्थ है “कथा कहने वाला” और यह नृत्य कहानियों को व्यक्त करने का एक माध्यम है। यह नृत्य अपनी लयबद्ध पैरों की हरकतों, चेहरे के भावों और सुंदर हरकतों के माध्यम से कहानी सुनाने के लिए जाना जाता है। भूमि प्रनाम को अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें हाथों और पैरों का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के आकृतियां बनाई जा सकती हैं।
कार्यशाला के आयोजन में वालेंटियर विनय पाण्डेय,छवि चतुर्वेदी आदि का सराहनीय योगदान रहा।

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